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Saturday 24 March 2018

जीवन का तरीका

प्रकृति की देन

प्रकृति की सबसे अद्भुत देन है ‘दिमाग’... यदि यह ना होता तो आज हम कहां होते? यही दिमाग तो है जिसने आदिम इंसान को बताया कि पत्थर घिसने से आग उत्पन्न होती है, आसपास की हरियाली में ही खाद्य पदार्थ छिपे हैं। इसी दिमागी ताकत की बदौलत हम यहां तक पहुंचे हैं और आगे भी तरक्की की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

कैसे जीयें ज़िंदगी

लेकिन जब मनुष्य अपनी दिमागी ताकतों को समझ ही नहीं पाएगा तो क्या लाभ? फिर तो वह एक जानवर के ही समान है। खैर ऐसा कहकर शायद मैं एक जानवर का भी निरादर कर रही हूं, क्योंकि उसे कब खाना है और कब खेलना है वह जानता है। लेकिन आजकल तो लोग अपने भीतर छिपी अच्छाइयों को भूलते जा रहे हैं।

परेशान ना हों

बस ज़िंदगी ने कहीं दुख दिए नहीं कि उससे लड़ने से पहले ही हार को दर्शाते हुए हाथ खड़े कर दिए। बड़े-बुज़ुर्गों ने सही तो कहा है कि ज़िंदगी हमें अपने हर एक पड़ाव पर एक सीख दे जाती है, मज़ा तो तब है जब हम उस सीख को सकारात्मक व्यवहार से अपनाते हुए अगले पड़ाव की ओर बढ़ चलें।

ज़िंदगी में कई रास्ते आते हैं

इसमें कोई दो राय नहीं कि ज़िंदगी में ऐसे कई रास्ते आते हैं जहां पहुंचकर हमें आगे कोई मार्ग दिखाई नहीं देता। लेकिन वहीं हम सब्र रखें और ध्यानपूर्वक कोशिश करें तो कई बार हमें ऐसा कोई मोड़ जरूर दिख जाता है जो हमारे लिए एक नया मार्ग बनता है। यह हमारी अंदरूनी ताकतें ही तो हैं जो हमें कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देती हैं, लेकिन यदि आप भी अपनी ताकत भूल चुके हैं तो हम याद करवा देते हैं।

मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत

मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत तो उसके भीतर ही छिपी होती है। यह कोई दुनियावी बातें नहीं हैं और ना ही फिलॉसफी है जिसे आप समझ ना सकें। सच में हर एक इंसान में अपनी एक खूबी होती है जो किसी दूसरे में नहीं पाई जाती। हो सकता है आप जिस प्रकार से अपने कार्य के प्रति संवेदनशील हैं वैसा कोई और ना हो।

आप का हंसमुख अंदाज़

आप का हंसमुख अंदाज़ केवल आपका ही है, अन्य किसी की ऐसी खासियत शायद ही हो। तो फिर उदासी में हम अपनी इन ताकतों को कैसे भूल जाते हैं। भगवान बुद्ध सही कहते थे – ‘हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही हो जाते हैं’। इसलिए यदि आप हताश ना होकर अपनी अंदरूनी ताकतों का इस्तेमाल करें तो शायद आप सारे ग़म भुला सकते हैं।

ग़म किस बात का?

लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि हमें ग़म किस बात का? 100 नहीं तो 99 प्रतिशत लोग अपने आज से नहीं डरते। ना ही वह अपने बीते हुए कल की चिंता करते हैं, बल्कि उन्हें तो उनका आने वाला कल सताता है। लेकिन आप सही तरीके से अपनी ज़िंदगी तभी व्यतीत कर पाएंगे जब आप बीते हुए कल या आने वाले कल में नहीं बल्कि अपने ‘आज’ को जीना सीख जाएंगे।

कल क्या होगा

और वैसे भी आने वाले समय के लिए योजना बनाना तो फिर भी ठीक है लेकिन यह सोचते रहना कि ‘कल क्या होगा’, इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। जब आप चिंता करना छोड़ देंगे तो आप बातों को दिल में रखना भी छोड़ देंगे। ऐसे कई लोग होते हैं जो लोगों की कड़वी बातों को दिल में बसा लेते हैं।

चिंता

या फिर जल्द ही किसी को भी अपना दुश्मन मानकर उसके प्रति हीनभावना को मन में बसा लेते हैं। लेकिन खुश तो आप तब रहेंगे जब चिंता करने के साथ दुख की भावना उत्पन्न करने जैसी बातों से भी दूर रहेंगे। यदि आपसे कोई कुछ कह दे तो उसे या तो उस मतभेद को उसी पल हल कर लें नहीं तो उसके बारे में भविष्य में सोचने का विचार ना करें।

छोटी-छोटी बातें

क्योंकि ऐसी छोटी-छोटी बातें ही जीवन में कड़वाहट लाती हैं और व्यक्ति की जीने की इच्छा कम होने लगती है। बातों को भूलना सीखें और यदि भूल नहीं सकते तो उसे अपने तरीके से सुलझाना सीखें। आपका ज़िंदगी को जीने का यही नज़रिया आपकी असली ताकत बनेगा।

गलतियों को माफ़ करना

मैंने कहीं पढ़ा था, ‘किसी को सज़ा देकर आप भले ही कुछ पल के लिए खुश हो सकते हैं, लेकिन किसी को माफ़ करके आप हमेशा के लिए खुश रह सकते हैं’। तो गलतियों को माफ़ करने से कोई छोटा या बड़ा नहीं हो जाता। लेकिन खुद के लिए आप बेहतर महसूस करेंगे।

खुद पर विश्वास

ज़िंदगी को सही तरह से जीने का अगला तरीका है खुद पर विश्वास रखना। यह बात आज ही दिमाग में बैठा लें कि दुनिया में आपके लिए फैसले लेने वाला आपसे बेहतर कोई इंसान नहीं है। आप स्वयं जानते हैं कि कौन सी बात आपके लिए सही है और क्या सही नहीं है।

कौन सी बात आपको खुश करती है

कौन सी बात आपको खुश कर सकती है और कौन सी नहीं, यह आप ही जानते हैं। अपने आप को आप से बेहतर और कौन समझता है? इसलिए सबसे पहले खुद में विश्वास करना सीखें। इसके लिए आपको अपनी खामियों को भी अपनाना होगा, क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं होता।

अपनी कमियों को समझें

जिस दिन आप अपनी कमियों को समझ जाएंगे उस दिन उन्हें सही करने तथा उन्हें दुनिया के सामने ना लाने का तरीका समझ जाएंगे। यूं तो ज़िंदगी एक पहेली ही है, जैसे उलझाते जाओगे वैसा ही पाओगे। लेकिन कदम-कदम पर आंखें खुली रखकर चलना भी तो जरूरी है।

मार्गदर्शन

यदि आप आंख मूंदकर किसी रास्ते पर चल रहे हैं तो ज़ाहिर है कि कहीं टक्कर खा जाएंगे या फिर गिर पड़ेंगे। बस यही सीख हमें ज़िंदगी सिखाती है। यदि जीवन के छोटे-छोटे रास्तों पर मार्गदर्शन से चलेंगे तथा कुछ बातों को समझते हुए आगे बढ़ेंगे तो ही सही जीवन व्यतीत करेंगे।

सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है?

लेकिन इन सबके बाद सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है? आप बेशक जीवन की गाड़ी चलाते रहने की तमाम तरकीबें सीख लें। कई ऐसी ट्रिक्स का ज्ञान पा लें जो आपको सही रास्ता दिखाए लेकिन जब तक आप खुद से प्यार नहीं करेंगे तब तक आप ज़िंदगी में कुछ सीख नहीं पाएंगे।

इंसान का जज़्बा

इंसान में कुछ कर दिखाने का जज़्बा दो-तीन कारणों से ही उत्पन्न होता है। पहला जब वो खुद के लिए कुछ करना चाहता है और दूसरा जब वह अपने अपनों के लिए कुछ करना चाहता है। तो आप किसके लिए ज़िंदगी में ऊंचाई को छूना चाहते हैं, यह निश्चित कर लें।

1 comment:

  1. इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद

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